याद तुम्हारी करके जब भी मेरे नयन सजल हो बैठे।
मन हो गया भगीरथ जैसा आँसू गंगा जल हो बैठे॥
प्यास दबाये बैठी कब से
सूख रहा था जिसका कण कण,
चाह बरसने की थी मन में
पर न धरा ने दिया निमंत्रण
इस पर्वत से उस पर्वत हम आवारा बदल हो बैठे॥
एक कली के पास गया तो
बोली मुझसे मुझे न तोडें,
जब वो खिल कर फूल बनी तो
मन ये बोला रिश्ता जोडें,
जब उसको चूमा काँटों से होंठ मेरे घायल हो बैठे॥
जीवन तो एक समझौता है
पल में हँसना पल में रोना,
एक तरफ फूलों से शादी
एक तरफ काँटों से गौना,
शायद कोई शिव मिल जाये सोच के यही गरल हो बैठे॥
रही अमावस सखा हमारी
साथ ले गये तुम तो पूनम,
एक आँख आँसू से है नम,
जो भी चाहे वो हल कर ले हम वो प्रश्न सरल हो बैठे॥
बन के नींद मेरी पलकों को
सपनों में बातें कर तुमने
इस दिल पर अहसान किया है,
झील सी नीली आँखों में हम लगने को काजल हो बैठे॥
No comments:
Post a Comment