"कोई कब तक फ़क़त सोचे, कोई कब तक फ़क़त गाए,
इलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए ?
मेरा महताब उस की रात के आगोश में पिघले ,
मैं उस की नींद में जागूँ वो मुझ में घुल के सो जाए ...!"
मेरा महताब उस की रात के आगोश में पिघले ,
मैं उस की नींद में जागूँ वो मुझ में घुल के सो जाए ...!"
"बताऊँ क्या मुझे ऐसे सहारों ने सताया है ,
नदी तो कुछ नहीं बोली किनारों ने सताया है,
सदा ही शूल मेरी राह से खुद हट गये लेकिन,
मुझे तो हर घड़ी ,हर पल बहारों ने सताया है.....!!"
"दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे ,
दिल के सब राज़ दे रहा हूँ तुम्हे ,
ये ग़ज़ल-गीत सब बहाने हैं ,
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ तुम्हे ....!"
Hamare Sher Sun Kar Bhi Jo
Khamosh Itna Hai
Khuda Jaane Guroor-e-Husn Mein
Madhosh Kitna Hai
Kisi Pyale Se Poocha Hai Suraahi
Main Sabab Mein Ka
Jo Khud Behosh Ho Wo Kya
Bataye Ke Hosh Kitna Hai
"लाख भीगे ज़मीन का आँचल,लाख किरनों की आखँ गीली हों ,
चाहे रोये सुबह की तन्हाई या कि शामें उदास पीली हों ,
तुम को क्या काम ये पता रख्खो, ऐसे बारिश में हम कहाँ पर हैं ,
तुम को ये वक़्त की इज़ाज़त कब,किस के सीने में गम कहाँ पर हैं ,
ठीक भी है कि तुम खुदा हो मेरे,और बस एक का खुदा कब है ,
मेरे होने ,ना होने का मतलब तुम्हारे वास्ते जुदा कब है.....!"
"वो एक बार कभी तूने बताया था मुझे ,
हवा से तेरे तसव्वुर की रिश्तेदारी है ,
सहम रहा है दीप, आज आँधियों में मेरा ,
अब बचे या कि बुझे तेरी जिम्मेदारी है .....!
अपने चाहने वाले से क्यों मुह मोड़ जाते हो,
कभी जिसने हंसाया था उसे इतना रुलाते हो,
फिर अपनी चाक़ पर क्यों संवारा था इस मिट्टी को,
किसके सहारे कच्चे घड़े को बरिशों में छोड़ जाते हो ।
"सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता,
खुशी के घर में भी बोलो कभी क्या ग़म नहीं होता ?
फक़त एक आदमी के वास्ते जग छोड़ने वालो,
फक़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता....!
"मज़ा आ जाए गर हो जाए इतना अबकी बारिश में ,
हमारी आखँ के आँसू , तुम्हारी छत पे जा बरसें......!"
हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है
""हम ने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है ,
और उदासी के पंजों से , हँसने का हक़ छीना है ,
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते हैं हर पल ,
अन्दर-अन्दर मरना है पर बाहर-बाहर जीना है....!"
"कोई तो छू के गया है मेरे तरन्नुम को ,
वगरना रौशनी ऐसे कहाँ बरसती है ,
ये और बात कि तुम को कुबूल हो न सके ,
ये ही वो लफ्ज़ हैं दुनिया जिन्हें तरसती है...!"
"जहाँ पर ख़त्म होती थी मेरी ख्वाहिश की ज़िद कल तक ,
उसी एक मोड़ तक खुद के सफ़र को मोड़ रख्खा है ,
किताब ए ज़िन्दगी यूँ पढ़ रही है आज कुल दुनिया ,
तुम्हारे नाम का एक वरक अब भी छोड़ रख्खा है...!"
"तेरी ख़ुशरंग उदासी में जो सन्नाटा है ,
मैं उसको अपने कहकहों से आ गुलज़ार करूँ ,
तेरी ये शर्त कि बस एक बार मिलना हो ,
मेरी ये ज़िद है कि बस एक बार प्यार करूँ ...!"
"तुम से कुछ ऐसा कहना है ,तुम से कभी नहीं कह सकता ,
तुम से दूर हुआ तो जाना ,तुम से दूर नहीं रह सकता....!"
"तुम अगर नहीं आयी , गीत गा ना पाऊंगा ,
सांस साथ छोड़ेगी , सुर सजा ना पाऊंगा ,
तान भावना की है , शब्द शब्द दर्पण है ,
बांसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है....!"
"मेरी रुसवाई कर के नाखुश हैं,
उन के चेहरे की सियाही ये है,
मेरे होने से ख़फा हैं कुछ लोग,
मेरे होने की गवाही ये है ......!"
"हर इक खोने,हर इक पाने में तेरी याद आती है,
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है,
तेरी अमृत भरी में लहरों को क्या मालूम गंगा माँ?
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है......!"
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे ,
देखना ये है की मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है ,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा....?
"आप की दुनिया के बेरंग अंधेरों के लिए ,
रात भर जाग कर एक चाँद चुराया मैंने ,
रँग धुंधले हैं तो इनका भी सबब मैं ही हूँ ,
एक तस्वीर को इतना क्यूँ सजाया मैंने.....!"
"न पाने की ख़ुशी है कुछ, न खोने का ही कुछ गम है ,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ ज़ख्मों का मरहम है ,
अजब सी कशमकश है रोज जीने , रोज मरने में ,
मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है.....!"
"महफ़िल,मुकाम,रास्ते और गम उदास हैं ,खुद में जो जब्त हैं सभी मौसम उदास हैं ,
किस-किस से पूछियेगा बेहल सवाल ये ,
सब ही उदास हैं या फ़क़त हम उदास हैं ....?"
तुम से कौन कहेगा आकर ..?
कितनी रात ढलीं बिन चंदा ?
कितने दिन बिन सूरज बीते ?
कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे,
भरी आखँ में सपने रीते ..?
कौन पिये और कैसे खाए ?
मन को जब जोगी भा जाए,
तुम को कौन सिखाये भा कर..?
तुम से कौन कहेगा आकर....?
उन घावों कि अमर कहानी ,
जिन के आखर पानी-पानी !
उन यादों की आपबितायी,
जिन की चुनर धानी-धानी !
तुम को कहाँ मिलेगा अवसर ?
कुछ पल रोम-रोम में बस कर ,
हम सा कोई सुनाये गाकर ?
तुम से कौन कहेगा आकर..?
"तुमने अपने होठों से जब छुईं थीं ये पलकें
नींद के नसीबों में ख्वाब लौट आया था ,
रंग ढूंढ़ने निकले लोग जब कबीले के ,
तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था....!"
"मेरी आखों से ये छाला नहीं जाता मौला ,
इनसे तो ख़्वाब भी पाला नहीं जाता मौला ,
बख्श दे अब तो रिहायी मेरे अरमानों को ,
मुझ से ये दर्द संभाला नहीं जाता मौला...!"
"कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा ,
गिरेबाँ अपना आँसूं में भिगोता हूँ तो हंगामा ,
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर ,
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.......!"
"लहर का ख़म निकाला जा रहा है ,
नदी पर बाँध डाला जा रहा है ,
कहाँ नीदें मेरी पलकों में ठहरें ,
किसी का ख्वाब पाला जा रहा है.
"किसी के दिल की मायूसी जहाँ से हो के गुज़री है ,
हमारी सारी चालाकी वहीं पे खो के गुज़री है ,
तुम्हारी और हमारी रात में बस फर्क इतना है ,
तुम्हारी सो के गुज़री है, हमारी रो के गुज़री है....!"
हमारी सारी चालाकी वहीं पे खो के गुज़री है ,
तुम्हारी और हमारी रात में बस फर्क इतना है ,
तुम्हारी सो के गुज़री है, हमारी रो के गुज़री है....!"
"तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है , समझता हूँ ,
तुम्हारे बिन मेरी दुनिया अधूरी है , समझता हूँ ,
तुम्हे मैं भूल जाउँगा , ये मुमकिन है नहीं, लेकिन ,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है , समझता हूँ.....!"
तुम्हारे बिन मेरी दुनिया अधूरी है , समझता हूँ ,
तुम्हे मैं भूल जाउँगा , ये मुमकिन है नहीं, लेकिन ,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है , समझता हूँ.....!"
"माँग मुझ से है ख़ास, दुनिया की,
लफ्ज़ मेरे हैं आस, दुनिया की ,
कतरा-कतरा है शायरी मेरी ,
दरिया-दरिया है प्यास,दुनिया की....!"
लफ्ज़ मेरे हैं आस, दुनिया की ,
कतरा-कतरा है शायरी मेरी ,
दरिया-दरिया है प्यास,दुनिया की....!"
"तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन ,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ......!"
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन ,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ......!"
"वो जो खुद में से कम निकलतें हैं ,
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं .
आप में कौन-कौन रहता है ?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं...!"
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं .
आप में कौन-कौन रहता है ?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं...!"
"कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन ,
भरी महफ़िल मे भी अक्सर , अकेले हो लिए तुम बिन ,
ये पिछले चंद वर्षों की , कमाई साथ है अपने ,
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन...!"
भरी महफ़िल मे भी अक्सर , अकेले हो लिए तुम बिन ,
ये पिछले चंद वर्षों की , कमाई साथ है अपने ,
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन...!"
"किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है ,
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी खुबसूरत है ,
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है ,
तुम्हें मेरी जरुरत है , मुझे तेरी जरुरत है........!"
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी खुबसूरत है ,
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है ,
तुम्हें मेरी जरुरत है , मुझे तेरी जरुरत है........!"
Baat uunchi thi magar baat jara kaam aanki
Usne jajbaat ki aukaat jara kam aanki
Wo farista keh kar mujhe jaleel karta raha
Mai insaan hoon,meri jaat jara kam aanki -
Ek do din me wo ikraar kaha aayega
Har subah ek hi akhbaar kaha aayega
Aaj bandha hai jo inn baaton me to bahal jayenge
Roj inn baahon ka tyohaar kaha aayega ....
Jism ka aakhiri mehmaan bana baitha hoon
Ek ummid ka unvaan bana baitha hoon
Wo kahan hai ye hawaon ko bhi maloom hai magar
Ek bas mai hoon jo anjaan bana baitha hoon
Kitni duniya hai mujhe zindagi dene wali
Aur ek khwab hai tera ki jo mar jata hai
Khud ko tarteeb se jodun to kaha se jodun
Meri mitti me jo tu hai ki bikhar jata hai
Use yakeen tha khud pe ki bhool jayega,
Humein bhi dil pe bharosa tha, yaad rakhe hain.








